निदेशक की अपील
14 सितंबर, 1949 को देश की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था । संघ की राजभाषा हिंदी होने के कारण हम सभी का यह दायित्व बनता है कि हम सभी अधिक से अधिक कार्य हिंदी में करें । प्रेरणा, प्रोत्साहन एवं प्रयोग के माध्यम से हिंदी के प्रसार को और बढ़ाया जा सकता है । राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार सहज, सरल एवं सुगम हिंदी के प्रयोग पर बल देता है ।
विगत वर्षों में हिंदी भाषा का प्रयोग काफी बढ़ा है । वैज्ञानिक दृष्टि से हिंदी का आधुनिकीकरण किया जा रहा है । कंप्यूटर पर हिंदी में काम करने की सुविधा तथा प्रौद्योगिकी, इंटरनेट एवं सोशल मीडिया पर हिंदी के बढ़ते प्रयोग के कारण वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है । यूनिकोड, मशीन अनुवाद, फॉन्ट कनवर्टर इत्यादि के प्रयोग से हिन्दी में काम करना बहुत आसान हो गया है । सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ने के कारण हिंदी एक सक्षम भाषा बन गई है । कंप्यूटर, इंटरनेट, ई-मेल इत्यादि सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी के बढ़ते प्रयोग से इसमें काम करना आसान हो गया है ।
संस्थान हिंदी भाषा के विकास में अपना लगातार योगदान दे रहा है । हिंदी के लिए भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय जी का जो स्वप्न था उसे पूरा करना हमारा दायित्व है । संस्थान के कार्यालयी कामकाज में हिंदी का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है । हिंदी में काम करने में आ रही कठिनाईयों को दूर करने हेतु संस्थान में समय-समय पर प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है । संस्थान में राजभाषा नीतियों के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए हम प्रयासरत हैं । प्रत्येक तिमाही में राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठकों में हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु गंभीरता से विचार-विमर्श एवं निर्णय लिये जाते हैं ।
आचार्य अमित पात्रा (निदेशक)भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (का.हि.वि.), वाराणसी
ई-मेल: director@iitbhu.ac.in
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